राष्ट्रीय एकता में शिक्षक का महत्व
ज्ञान की ज्योत बनकर,
उन्मीद की किरण बनकर,
सदा जागरूक बनकर,
सभी के बीच
राष्ट्रीय एकता
का भाव जागृत कर,
एक अनन्य प्रहरी का
रूप है शिक्षक ।
राष्ट्रीय एकता की भावना राष्ट्र का एक अनिवार्य लक्ष्यण है । किसी राष्ट्र के नागरिक वेश-भूषा, खान-पान, रहन-सहन, मूल्य मान्यताएं, जाति-धर्म आदि के अंतर को भूलकर एक समझकर राष्ट्रहित के आगे अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, जातीय और धार्मिक हितों का त्याग की भावना को राष्ट्रीय एकता कहते हैं । राष्ट्रीय एकता का अर्थ है - राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना जिसमें जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा, संस्कृति आदि के अंतर को भूलकर अपने को एक समझा जाए । राष्ट्रीय एकता राष्ट्र के लोगों को एकता के सूत्र में बांधकर रखती है । राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के अनुसार, राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक तथा शैक्षिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा सभी व्यक्तियों के ह्रदय में एकत्रित संगठन एवं शांति की भावना विकसित किया जाता है ।
शिक्षा राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है । राष्ट्रीयता की दृष्टि से आज शिक्षा का लक्ष्य है - व्यक्तियों में राष्ट्रीय भावना भरना एवं सभी ह्रदय में राष्ट्र के प्रति प्रेम उत्पन्न करना । शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षा प्राप्त व्यक्ति राष्ट्रीय प्रेम से युक्त हो ।
शिक्षा में राष्ट्रीय एकता आने का एक महत्वपूर्ण बाहक है शिक्षक । शिक्षक अपने मन, वचन और व्यवहार से एक आदर्श प्रस्तुत करके समस्त छात्राओं में राष्ट्र भक्ति उत्पन्न कर सकता हैं । इसके लिए शिक्षक को राष्ट्र की गौरवमय सभ्यता और संस्कृति का पूर्ण प्रज्ञान तथा राष्ट्र की ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं से पूरी तरह अवगत होना होगा । राष्ट्रीय एकता के भावना जागरूक करने के लिए पहले शिक्षक अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होकर समाज सेवा को अपना धर्म मानना होगा । राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में शिक्षक निम्नलिखित भूमिका निभा सकता है--
१) प्रत्येक राष्ट्र के कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो सब लोगों के होते हैं, और जिन पर सभी का समान रूप से गर्व हो सकता है । एक शिक्षक ऐसी समान तत्वों को छात्र के सामने अपने अध्यापन में निरंतर उजागर करना होगा ।
२) छात्राओं में राष्ट्रीय एकता की भावना उत्पन्न करने के लिए शिक्षक को अपने अध्यापन में इतिहास की उन बातों, घटनाओं और परिस्थितियों का बारंबार उल्लेख करना चाहिए जो की सामूहिक स्मृति है ।
३) प्रशिक्षणप्राप्त शिक्षक द्वारा पाठ्य-पुस्तकों में आवश्यक संशोधन किया जाये और पाठ्यक्रम इस प्रकार प्रस्तुत किया जाए कि वे भावात्मक एकता के विकास में सहायक हो ।
४) शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों में ऐसा दृष्टिकोण उत्पन्न किया जाये जिससे वे अपनी 'सांस्कृतिक विरासत' के महत्व को समझें और सुरक्षा और संरक्षण कर सके ।
५) इतिहास पढ़ाते समय शिक्षक इस बात पर जोर दे जो अलग - अलग धर्मों की संस्कृतियों को मिलाने में सहायक हो ।
६) शिक्षक द्वारा छात्राओं को ऐसी पाठ पढ़ाई जाये जिससे उनमें 'हम' की भावना का विकास हो ।
७) शिक्षक द्वारा विद्यालयों में राष्ट्रीय उत्सव जैसे २६ जनवरी, १५ अगस्त आदि को बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाये जाये ।
८) एक आदर्श शिक्षक अपने अध्यापन कार्य में उन अवसरों का भरपूर उपयोग करेगा, जिनमें सामूहिक रूप से कार्य की आवश्यकता होती है ।
हमारे विद्यालय के आस पास प्रायः सभी जाति जैसे हिंदू, मुसलमान, बोडो आदि लोगों का निवास हैं । उन सभी के बच्चें हमारे विद्यालय में अध्ययन करते हैं । इन सभी विद्यार्थियों के बीच राष्ट्रीयता का भाव लाने का एक महत्वपूर्ण बाहक है शिक्षक ।
छात्र शिक्षक को अपना आदर्श मानता है । अतः यदि हम अपने छात्राओं में देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना चाहते हैं तो शिक्षक को देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण होना होगा । शिक्षक को अपने मन में राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान और राष्ट्रभाषा के प्रति श्रद्धा और सम्मान पैदा करना होगा । विद्यार्थियों के प्रति अपने व्यवहार को निष्पक्ष रखना होगा । तभी छात्राओं में राष्ट्रीयता की भावना पैदा कर सकेगा ।
सहायक ग्रंथ :
१) विकिपीडिया
२) शिक्षा, राष्ट्रीय एकता एवं शांति - डॉ हेमंत खंडई, शालिनी खोवाला
३) भारत की राष्ट्रीय एकता - डॉ लक्ष्मीमल्ल सिंघवी
श्री वन्दना शर्मा l
हिंदी शिक्षिका,
सत्रपरा आइडियल हाईस्कूल l
शिक्षाखंड : रामपुर, कामरूप l
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