शिक्षा
कौन हूँ मैं-
मेरा अस्तित्व है क्या ?
कहाँ मेरी शुरुआत
और अंत कहाँ !
दृढ़ता और निष्ठा, है मेरे आभूषण
मैं कोई सिमटी चीर नहीं
अनंत है मेरा दामन,
समझोगे मुझे तभी
जब मुझमें समाओगे।
जितना लुटाओगे, उससे कहीं ज्यादा पाओगे।
जीवन भर चलती हूँ,
जीवन को चलाती हूँ,
हर एक को अपनी मंजिल तक पहुँचाती हूँ।
मर्जी तुम्हारी मुझे कैसे अपनाओगे
मैं तो हूँ सबकी
बिन किसी भेद-भाव के |
मेरे अस्तित्व के रक्षक हो तुम
हो सके तो मुझे सार्थक बनाओ।
थाम कर मेरा दामन
अपनी पहचान बनाओ।
श्वेता झूरिया, सहकारी शिक्षयित्री
आनन्द हिन्दी एम. ई. स्कूल,
शिक्षाखन्ड- कररा
অলংকৰণ :- সংগীতা কাকতি
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