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सुकफा को स्मरण | Hindi Article by Arup Sharma

सुकफा को स्मरण

    सुकफा  १२१५ ई० में माऊलुंग, यूनान (उपरी बर्मा) के बिदाई के साथ पटकई पहाड़ की ओर बढ़ते हुए नागा को परास्त किया। फिर आगे की ओर नामरूप(शिवसागर) के मैदानी इलाके सहित अपने समर्थकों के साथ १२२८ में खामजंग पहुंचे।

    इस तरह से छो-लुंग सुकफा ने १२२८ में अहोम साम्राज्य की नींव मध्य युग में रख दी। यही साम्राज्य आगे ६०० साल तक राज किये। बाद में मोरन तथा बरही राजाओं को परास्त किया। पराजित साम्राज्यों के साथ उन्होंने काफी समानता का व्यवहार किया। इन स्थानीय साम्राज्य को ही वह अपना मनना शुरू किया। इसकी पुष्टि उनके सैनिकों के द्वारा स्थानीय लोगों के साथ मिल जुल कर रहना, सामाजिक मिलन जैसे व्यवहारिक सम्पर्क में बांधना आदि से पता चलता है। इस तरह से धीरे धीरे सुकफा ने अहोमकरण की झलक दी एवं एक राष्ट्र में परिवर्तित करने की नीति अपनाया।

    उनका जन्म ११८९ में मोंग- माऊ, यूनान में हुआ था। कई क्षेत्रों के सोच-विचार के बाद १२५३ में सुकफा ने चराईदेउ में अपना अंतिम राजधानी बनाया। यहीं पर उन्होंने १२६८ में अंतिम सांस ली। उनके राजनीतिक परिपक्वता और प्रशासनिक दक्षता की परिचय, साम्राज्य के साथ निभाये गए व्यवहार से ही पता चलता है।

    अहोम, जिन्होंने आज के असम साम्राज्य को अपने अधीन करते हुए अपने घर ही बना लिया। वर्तमान असम राज्य को अहोम मुंगदुन-सुंखम कहते हुए देश को स्वर्ण बगीचा कहा।सुकफा, अहोम साम्राज्य की प्रथम सम्राट होने से लेकर आज के असम प्रदेश में उनके सराहनीय योगदान के चलते, उन्हीं के स्मरण में १९९६ से हर वर्ष असम सरकार दिसंबर को सरकारी तौर पर सुकफा दिवस असम दिवस के रूप में पालन किया जा रहा है।

    आज इस लेख के जरिए उनको नमन तथा स्मरणकरता हूँ।

धन्यवाद

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अरूप शर्मा, हिंदी शिक्षक,

त्रीवेणी मध्य अंग्रेजी विद्यालय

करारा शिक्षा खंड, कामरूप, असम।

भ्रम्य भष: ९४३५४०५४७६

 


चित्रण : सुकन्या भरद्वाज

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