बूंद बूंद ख्वाहिश
कामयाबी की नींव और बूंद-बूंद ख्वाहिश
मानो चारों ओर उजाला लाएगी
एक इतिहास की झलक दिखा कर
आशीष चारों ओर लहराएगी।
तमन्नाओं की परिंदे हर रात
सपनों को सजाया
खुले आसमान में दिल की उमंग
बेकाबू होकर उड़ने लगी।
हर रोज किस्मत को दहलीज में लाकर
अजीब सा एहसास हुआ
नई ख्वाहिश, बारिश की बूंद की तरह
हर रोज गिरने लगा |
सुनिता दास
हिन्दी शिक्षयित्री
नहिरा एन. एल. सिनीयर बैचिक स्कूल
छयगाँव शिक्षाखंड
चित्रण : मनबीनी दास
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