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नारी है न्यारी | Hindi poem by Mukut Kalita

नारी है न्यारी

नारी है न्यारी  Hindi poem by Mukut Kalita

तू ही शक्ति

तू ही भक्ति

गोदी में जो तेरी दुनिया बसती |

 

तू ही चाहत

तू ही ताकत

तू ही तो दुनिया की तकदीर है |

 

तू ही सृष्टि

तू ही विनाश

तू रूठी तो दुनिया रूठी

तू हँसी तो दुनिया हँसी |

 

तेरी महिमा है निराली

ईश्वर भी जिसे समझ पाई

तू है नारी

सबसे न्यारी

तेरी उन्नति ही

देश की तरक्की है,

इसलिए तो धरती को भी

धरती माता कहती है |

 

धरती माता को सम्मान करो

अपना मान शान बढ़ाओ |


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मुकुट
कलिता 

दमरंग बरजुली एम स्कूल 

बोको ब्लॉक, कामरूप, असम

 


चित्रण : पुबाली शइकीया दास


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