शरद प्रेम
गुलाबों सी महक वर्षा देकर चली
हरियाली सी खुशबू भादो-आश्विन-कार्तिक लेकर आयी ।
रात की चमेली से चाँदनी निकल आयी
मन की मंदिर में आशा की किरणें लायी ।
सुबह हो या शाम, बकुल सी प्रसन्न चित्त
हृदय को मधुर मुरली से भरने आयी रात ।
आकाश का काले बादल गुम हो गयी
दबी हुई सपनें को जगाने शरद पूर्णिमा आयी ।
ओस की बूंदों से जगमगातें प्रकृति रानी
वही सौन्दर्य मानव के ज्ञान में निर्मलता लायी ।
मनबीनी दास l
घटनगर मध्य इंराजी विद्यालय l
शिक्षाखंड : छयगांव, कामरूप l
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