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৩য় বছৰ ৩য় সংখ্যা,হিন্দী প্ৰবন্ধ, महिला सशक्तिकरण

 महिला सशक्तिकरण




विश्व रूपा , जगत जननी
शक्ति के आधार
है तू नारी ।
माँ , बहन , पुत्री , पत्नी के
रूप में सफलता से
आगे चलते गए , चलते गए ।
तेरी बढ़ती कदम पर
कोई नहीं रोक लगा सकता
क्योंकि
तेरी अंदर  गुण की परिभाषा है
सहनशील , धैर्यशील,
सर्व शक्तिमान नारी ।

महिला सशक्तिकरण की परिभाषा है महिलाओं को पूर्ण रूप से शक्तिशाली बनाना । जिससे वह अपने जीवन से जुड़े फैसले स्वयं ले सकती है और  परिवार और समाज में अच्छे रह सकती है । समाज में वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है ।
भारत की आधी आबादी महिलाओं की है और विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर सर्वाधिक होगी । लेकिन महिलाओं का श्रम जनसंख्या की तुलना में योगदान तेजी से कम हुआ है । भारत में महिला  सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते है --

१) आधुनिक युग में भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामन्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य है और उन्हें सामान्य स्वास्थ सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है ।

२) भारत में पुरुष की शिक्षा दर ८१.३ (81.3) प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की शिक्षा दर मात्र ६०.६ (60.6) प्रतिशत हैं ।

३) भुगतान में असमानता । समान अनुभव और योग्यता के बावजूद भी भारत में महिलाओं को पुरुषों के अपेक्षा २० (20) प्रतिशत कम भुगतान दिया जाता है ।

४) प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था । महिलाओं के साथ परिवार और समाज में भेदभाव रखा गया था ।

५) आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूक हैं जिसके परिणाम सारे स्वयं सेवी संस्था , एन. जी. ओ , सरकार आदि इस दिशा में निरन्तर कार्य कर रहे है ।
इसी कारण महिला सशक्तिकरण के लिए कई अधिकार दिया गया है । जैसे-
१) समान वेतन का अधिकार : समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार वेतन या मजदूरी की मामले में लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है ।
२) कार्य स्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून : वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण की शिकायत दर्ज होने पर
महिलाओं की जांच लंबित रहने तक ९०(90) दिन का पेड लिव अर्थात सवेतन छुट्टी दी जाएगी ।

३) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार : भारत के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह एक महिलाओं को उसके मूल अधिकार ' जीने के अधिकार ’ का अनुभव करने दे ।

४) संपत्ति पर अधिकार : हिंदू उत्तराधिकारी नए नियमों के आधार पर पुश्तेनी सम्पत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है ।

५) गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार :- बदलते समय के साथ आधुनिक युग की नारी पढ़ लिखकर स्वतंत्र है । वह अपने अधिकारों के प्रति सजग है तथा स्वयं अपना निर्णय लेती है । इसी वजह से राष्ट्र के विकास के महान काम में महिलाओं की भूमिका और योगदान अतुलनीय है ।
भारत में भी ऐसी महिला है जिन्होंने समाज में बदलाव और महिला सम्मान के लिए आगे आयी । ऐसी ही एक मिसाल बनी सहारनपुर की अतिया साबरी । अतिया पहली ऐसी मुस्लिम महिला है , जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया । तेजाब पीड़ित के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाली वर्षा जवलगेकर की नाम भी विशेष है ।
आज देश में नारिशक्ति को सभी दृष्टि से सशक्त बनाने के प्रयास किए जा रहे है । देश की महिलाएँ जागरूक हो चुकी हैं । आज की महिला घर और परिवार की जिम्मेदारी के साथ पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बड़े से बड़े कार्य क्षेत्र में (काम मजदूरी का हो या अतंरिक्ष में जाने का ) अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं है ।

महिला सशक्तिकरण के लिए कोई पदक्षेप ली गयी है । विद्यालय में वालिका सुरक्षा मंच गठित किया गया है ताकि छात्री अपना दर छोड़कर खुलकर अपना समस्या अपनी शिक्षिका के जरिए वक्त कर सके।

महिला सशक्तिकरण के जरिए सदियों पुरानी परंपराओं और मान्यताओं से लोहा लेकर , बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णय खुद ले सकती है ।





श्री बन्दना शर्मा
हिंदी शिक्षिका
सत्रपरा आइडियल हाईस्कूल
शिक्षा खंड : रामपुर

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