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হিন্দী কবিতা, बांसुरी, वंदना चौहान

 बांसुरी



श्याम तेरा थे बांसुरी
मधुर मुरलीया गाती ...
ग्वाल बाल सब संग तेरे
ऐसे नाच नचाती है ...
यूँ लगता है वृन्दावन में
सब मिलकर रास रचाते है , 
सारी गोपियाँ तेरे मुरली पे
मतवाली हो जाती है ,
मोहन-मोहन कहते
तेरे पीछे आती है ...
सांझ सवेरे चारों पहर
तेरे ही गुण गाती है ,
मेरे बांसुरी वाले तेरे पीछे दुनिया मतवाली है ...



वंदना चौहान
कक्षा : बारहवीं
तुलसीबारी बहुमुखी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
शिक्षा खंड : रंगिया

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