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হিন্দী প্ৰবন্ধ, हिन्दी दिवस की तात्पर्य, गीता रानी डेका, ৪ৰ্থ বছৰ ১ম সংখ্যা,

 हिन्दी दिवस की तात्पर्य



हिन्दी दिवस १४ सितम्बर को हर साल पूरे देश में मनाया जाता है । यह दिवस मनाने के पीछे एक कारण है- सभी लोगों को हिन्दी भाषा के प्रति उत्साह बढ़ाना । शुद्ध रुप से हिन्दी बोलना और हिन्दी भाषा का प्रचार -प्रसार में एक जुट होकर आगे बढ़ना हिन्दी दिवस मनाने का सफल कार्य होगा ।
पूरे भारतवर्ष में ७०% लोग हिन्दी भाषा व्यवहार करते हैं । भारत स्वतंत्र होने के बाद राजभाषा के रूप में हिन्दी भाषा को लागू करने के लिए लम्बी चर्चा हूई । उसके बाद संबिधान सभा के मतानुसार १४ सितबंर को हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया और उसी समय से हिन्दी दिवस मनाया जाता है ।
हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा मनाने के पीछे  एक कहानी है । हिन्दी के महान साहित्यकार गोबिंद दास, हजारी प्रसाद द्विवेदीजी, काका कालेलकर , मैथिलीशरण गुप्त आदि के  प्रयास आज रंग लाई । महात्मा गांधीजी ने भी स्वाधीनता आंदोलन के दौरान राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी को चुना था।
हिन्दी भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है । यह भाषा देशभक्ति संस्कृति और समृद्धि का प्रतीक है । स्वतंत्रता संग्राम के समय हिन्दी का महत्व बढ़ा । पुरे देश को एक सूत्र में बांधने हेतु संयोगी भाषा के रूप में हिन्दी
का व्यवहार हुआ ।
हिन्दी का उद्भव संस्कृत से हुआ है । यह एक ईंदो-आर्य भाषा है । हिन्दी के विकास के साथ ही वेदों, उपनिषदों,
महाभारत तथा अन्य ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें भारतीय संस्कृति, धार्मिक भावनाओं तथा सामग्रीक परिस्थितियों का आभास मिलता है । हिन्दी भाषा की लिपि है देवनागरी लिपि । यह लिपि बहुत प्रसिद्ध है, अधिकतर भारतीय भाषा इस लिपि के अंतर्गत है। हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें  प्रतिज्ञा करना चाहिए कि अपनी राजभाषा के प्रति जागरूक होना होगा और समर्पित रहना होगा । हमारे अनुज को हिन्दी की इतिहास
को समझाना चाहिए और हिन्दी के प्रति जागरूक करना चाहिए । तभी हिन्दी दिवस को सही मायने में साकार करने का सफलता मिलेगी ।




गीता रानी डेका,
हिंदी शिक्षिका,
तुलसीबारी बहूमुखी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
शिक्षाखंड : रंगिया

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