रावण
मैं रावण...
हर तरफ केवल मैं ही मैं हूँ
मुझे जलाने को तुम्हारी ये
बैचेनी, तुम्हारी ये उतावला
मुझे जलाने की होड़ लगी
पर...
तेरी इस मुखौटे के पीछे
मैं सदैव जिंदा था
जिंदा हूँ जिंदा रहूंगा...
मुझे मारने से पहले तुम
राम तो बनो...
धर्म की आड़ में
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार
से संचालित हे मानव...
तुम्हारी राम बनना तय है
ये भ्रम के अलावा कुछ नहीं
देख रहा हूँ मैं प्रलय
मैं रावण...
हिंदी शिक्षक
छमरीया हाईस्कूल
शिक्षा खंड : छमरीया
1 Comments
बहुत खूब
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