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হিন্দী কবিতা, शरीर के अंग, जुनमणि दास, ৪ৰ্থ বছৰ ১ম সংখ্যা,

 शरीर के अंग


आँखों से देखो चंदा मामा
कानों से सुनो बात
हाथों को रखो सदा सफाई
मुँह में मुस्कुराहट |
सर को रखो सदा शांत
नाक से लो सांस
मन का सपना जो भी हो
जमीन पर रखो पाँव।



  जुनमणि दास
  हिंदी शिक्षक
                छयगाॅव सरकारी मजलीया विद्यालय 




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