अंतरराष्ट्रीय
मेरी मां
नदी की तरह वह निर्मल है
शश्य की तरह वह मनोहर है
मेरी मां को धारण करके
मैं जा रहा हूं
एक भविष्यहीन वर्तमान से
दूसरे वर्तमान की ओर ।
मेरी सफर के आकाश में
प्रतिवेशी और मित्रों की
मंगलकामनाएं
पवित्र संगीत की तरह
गुंजती रहती है ।
अपनी मां का हाथ कसकर पकड़के
मैं जा रहा हूं
एक देश से दूसरे देश तक ।
मेरे प्रतिवेशी और मित्र का सुर
मेरा समीप है ।
अपनी मां को धारण करके
मैं जा रहा हूं ... ...
मूल : हीरेन भट्टाचार्य
1 Comments
সুন্দৰ অনুবাদ৷
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