पगध्वनि
अंधियारे की आवाज
कोई नहीं सुनता
क्योंकि... प्रकाश सबको भाती हैं
बस रात कटें
सबको पता है
प्रकाश निरंतर
बसता है...
पर कोई नहीं सोचता
कि अंधकार और प्रकाश के दरमियाँ
है एक अंतरंग क्षण
जब अंधकार प्रकाश को समेतता...
और प्रकाश अंधकार को...
अब हमें ऐसी आँखों की जरूरत है
जो अंधकार नहीं देखती, नहीं देखती प्रकाश
बस उस क्षण को देखती
जब प्रकाश और अंधकार दोनों परस्पर मिलते
वो शुभ पल श्वास असीम...
मूल : जुबिन गर्ग
अनुवाद : मालव्य दास
छयगाँव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
शिक्षाखंड : छयगाँव


1 Comments
সুন্দৰ
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